बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण में वोट चोरी का जो छद्म प्रचार राहुल गांधी और उनके हितपोषक क्रांतिकारी यूट्यूबरों ने किया, उसे अभी भी उनके अनुयायियों के द्वारा सही ही माना जा रहा है। और इससे चुनाव आयोग की कठघरे में खड़ा हो गया।
पर सच में, सच इससे विपरीत है। कई बार इसे उठाया है। आज फिर।
यह तस्वीर अंतिम मतदाता सूची प्रकाशन के बैठक की है। इसमें सभी राजनैतिक दलों के साथ जिलाधिकारी सह जिला निर्वाची पदाधिकारी आरिफ अहसन बैठक करके सभी जानकारी देते है। कितने नाम काटे, क्यों कटे, कितने जुटे..!
इसमें कांग्रेस के जिलाध्यक्ष प्रभात चंद्रवंशी, राजद के जिलाध्यक्ष संजय सिंह, जदयू जिला उपाध्यक्ष ब्रह्मदेव महतो सहित वामपंथी और अन्य दलों के नेता शामिल हुए। सभी को एक एक बंडल अंतिम मतदाता सूची का दे दिया गया। देख लीजिए। क्या सही, क्या गलत..! लोकतंत्र इसी से जिंदाबाद है। जिंदाबाद रहेगा।
पुनरीक्षण शुरू होने के बाद जब प्रारूप का प्रकाशन हुआ तो उसे भी दिया गया था। और बोला गया था कि इसमें आपत्ति हो तो साक्ष्य के साथ आवेदन दीजिएगा, सुधर जाएगा। और मेरे जिले में 26256 नाम कटे तो दावा आपत्ति के बाद 7981 नाम जुट गए। बस, यही प्रक्रिया है। एकदम पारदर्शी।
अब सभी पार्टियों का सभी बूथ पर बूथ लेवल एजेंट होते है। सब नाम चुनाव आयोग में दिया गया। सभी पार्टी ने तो ऐसा नहीं किया। पर बड़ी पार्टियों का है। पर कांग्रेस का कम है। क्यों कि इसके लिए पार्टी का एकदम जमीनी स्तर पर पैठ होना अनिवार्य है। जो अभी बिहार में कांग्रेस का नहीं है। इसने तो तीन दशकों से अपने पैर पर लालू यादव रूपी कुल्हाड़ी अपने मार ली है। अब जख्म धीरे धीरे भरेगा। ईश्वर सुधार के लक्षण तो दिख रहे है।
खैर, वोट चोर, गद्दी छोड़। नारा में राजद भी शामिल हुआ। होना भी चाहिए। जब विकास की बहती धारा में कोई मुद्दा मिले ही नहीं, तो कुछ मुद्दा गढ़ दिया जाना ही राजनीति के लिए श्रेष्ठकर होता है। वही हुआ। और एक बात और, मतदाता सूची में अभी भी गड़बड़ी मिलेगी। क्योंकि BLO हम में से ही कोई है। और हम तो वही है...एक बिहारी सब पर भारी...बाकी सब ठीक है...
सब ठीक है |
जवाब देंहटाएं