यात्रीगण कृपया ध्यान दें..!
नवादा से चलकर, शेखपुरा होते हुए, बरबीघा के रास्ते पटना जाने वाली यात्री रेलगाड़ी अपने निर्धारित समय से पूरे पाँच घंटे विलंब से चल रही है।
इस असुविधा के लिए किसी को भी खेद नहीं है।
रेलगाड़ी समय पर चले, ऐसा कोई वादा नहीं किया गया था। समय सारणी नाम की चीज़ हमारे लिए सिर्फ दिखावे की होती है। इस लाइन पर पहली बार रेलगाड़ी चली है, तो उसे भी अपनी मनमर्जी चलाने का पूरा हक़ है।
अभी तक लोग रेल चलने पर उछल-उछलकर खुशी मना रहे थे। चेतावनी है—ज्यादा मत उछलिए! ज्यादा इतराने से सबको जलन होती है, और मुझे भी वही हुआ है।
पहली बार जब चालक दल गाड़ी लेकर आया तो ऐसा स्वागत हुआ मानो बारात चढ़ आई हो। अब सोचिए, इतनी खुशी किसी को बर्दाश्त होती है क्या?
इसीलिए तो देखिए—समय पर चलकर हम अपनी पहचान खोना नहीं चाहते।
भारतीय रेल की असली पहचान यही है कि चाहे सुपरफास्ट हो या पैसेंजर, समय से न चलना ही हमारा धर्म है।
तो समझ लीजिए... मैं यात्री रेलगाड़ी हूं।
समय सारणी से मेरा कोई रिश्ता नहीं है।
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नोट: यह व्यंग्य है। इसे गंभीरता से लेने वाला स्वयं नुकसान उठाएगा।
हंसिए, मुस्कुराइए और सफ़र का मज़ा लीजिए।
वन्दे भारत को देखिए | कहां देख रहे हैं ?
जवाब देंहटाएंहां हां हां...
हटाएंसही कह रहे सर।
बहुत शानदार लिखे हैं सर।
जवाब देंहटाएंयात्रीगण सिर्फ़ भुनभुना के,गलियां के रह जाते हैं क्या करेंगे ।।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३ अक्टूबर २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
कभी कभी अपवाद भी होता है
जवाब देंहटाएंचलती का नाम गाड़ी...समय कहाँ से आ गया बीच में ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
Nice
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