02 अक्तूबर 2013

दम तोड़ रही है गांधी जी के पंचायती राज का सपना।

शेखपुरा (बिहार) / अरूण कुमार साथी

गांव का चहुमुखी विकास ही गांधी जी का अंतिम सपना था और उन सपनों को जमीन पर उतारने को लेकर बड़े बड़े दाबे भी किए जाते है पर हकीकत बिल्कुल उल्टा है। गांधी जयंती को लेकर आज जिन जिन पंचायतों में ग्राम सभा की बैठकंे होनी थी वहीं कहीं तो हुई ही नहीं कहीं तो मजह औचारिकता की गई।

आज जगदीशपुर, केवटी और कुटौत में ग्राम सभा की बैठक किया जाना था। इसको लेकर जगदीशपुर पंचायत के किसी गांव में इसकी सूचना तक नहीं दी गई। जगदीशपुर निवासी अरिवन्द्र प्रसाद कहते है कि गांव के लोगों को इसकी कोई सूचना ही नहीं दी जाती है। मुखिया अपने समर्थकों के साथ चुपचाप बैठक करते है जिसपर अधिकारी हस्ताक्षर कर देते है। वहीं सोभानपुरा निवासी संजय सिंह कहते है कि ग्राम सभा बैठक की सूचना ही नहीं दी जाती है और रोजगार सेवक और प्रोग्राम पदाधिकारी की मिली भगत से सब गोल-माल कर लिया जाता है।
इसी तरह कुटौत पंचायत में आज बैठक किया जाना था पर किसी को सूचना ही नहीं दी गई और जिसको सूचना मिली वे बैठक का इंतजार करते रह गए। इसको लेकर सरपंच अर्जी देवी कहती है कि उनको किसी माध्यम से आज ग्राम सभा की बैठक होने की सूचना मिली थी पर वह दिन भर बैठक का इंतजार करती रह गई और बैठक नहीं हुई यदि फाइलों पर हो गई हो तो नहीं कहें। 

इसी प्रकार राकेश कुमार की माने तो ग्राम सभा की बैठक कभी कुटौत पंचायत में की ही नहीं जाती।
वहीं इस संबंध में सीओ रविशंकर पाण्डेय कहते है कि केवटी पंचायत में ग्राम सभा की बैठक में वे मौजूद थे जबकि बीडीओ ईश्वर दयाल खुद नाराजगी जाहीर करते हुए कहते है कि प्रचार प्रसार के आभाव की वजह से जगदीशपुर में कम लोग ही जुटे।

वजह चाहे जो हो पर गांधी जी का सपना गांव की ग्राम सभाओं में ही दम तोड़ती नजर आती है।


2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रशासन एवं सरपंच लापरवाही के कारण ऐसा होता है,मै स्वयं ३१ वर्ष लगातार पंचायत में पदाधिकारी था,मुझे इसका काफी अनुभव है ,मूल रूप से प्रशासन दोषी है

    RECENT POST : मर्ज जो अच्छा नहीं होता.

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - शुक्रवार - 04/10/2013 को
    कण कण में बसी है माँ
    - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः29
    पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


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