16 जनवरी 2014

दिया कबीरा रोय...


शेखपुरा (बिहार) 
जिले के बरबीघा थाना क्षेत्र के मालदह गांव में कबीर मठ हमारे आध्यात्मिक पतन का प्रमाण है। यह मठ बदहाल है। यहां एक महिला साध्वी रहती है। उन्होने अपना सारा जीवन कबीर प्रेम और उनके संदेश को समर्पित कर दिया। आज यह मठ पूरी तरह से बदहाल है। इसके हिस्से के एक एकड़ से अधिक जमीन पर गांव के दबंग कब्जा करना चाहते है और इसको लेकर हत्या भी हो चुकी है। वहीं गांव के कुछ लोग इसको बचाने के लिए भी प्रयासरत है। पर परिणाम, कबीर दास आज अपने ही कही साखियों को पढ़ कर रो रहे है... इस मठ और आदमी के आध्यात्मिक पतन को देख कर..


कुछ तस्वीरें 










3 टिप्‍पणियां:

  1. @जरा याद करो कुर्बानी


    जी ये पंक्ति आपके ब्लॉग से ही शहीद भगत सिंह के चित्र से उपर से ली है..

    धर्म की रक्षा सदा शक्ति से होती है खासकर जब शासक नपुंशक हो. शक्ति सदा संघठन से मिलती है.

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  2. भय नहीं भेदि = सार रहस्य का ज्ञाता अर्थात गुरु
    'बिन भेदि भगति न सोए'

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  3. भय नहीं भेदि = सार रहस्य का ज्ञाता अर्थात गुरु
    'बिन भेदि भगति न सोए'

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