पेट भरू सबका, खुद भूखा सोउ
मन ही मन घुट-घुट मैं रोउ
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कभी मेरे लिए भी सूरज निकले
मेरे खेतों में भी सोना उपजे
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कभी कहो खेत, किसान,
मजदूर की जय हो
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कभी एक मुट्ठी खुशी
अपने लिए भी तय हो
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तब मैं भी कहूं सबको
नववर्ष मंगलमय हो
नववर्ष मंगलमय हो...
अरुण जी, २०१४ की राम राम स्वीकार करें.
जवाब देंहटाएंराम राम जी
हटाएं
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए...!
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