हाय बिहार
बिहार को एक बार फिर नेताओं के द्वारा सोची समझी राजनीति और रणनीति के तहत वोट के लिए जातीय आग में झोंकने की तैयारी कर ली गई है।
इसी तैयारी के तहत बिहार के शिक्षा मंत्री ने राम चरित्र मानस को फर्जी ग्रंथ बताकर एक बड़े वर्ग की भावनाओं को आहत करने का प्रायोजित काम किया है।
वहीं इसके माध्यम से जातीय ताने-बाने को तोड़कर अपने फायदे की रणनीति पर काम शुरू कर दिया गया है ।
2024 और 2025 तक इस आग को और पेट्रोल दी जाएगी । दुर्भाग्य से बिहार इस आग में जलने के लिए मजबूर होने वाला है। अफसोस कि नीतीश कुमार जैसे प्रखर (अब नहीं) नेता भी कहते हैं कि उनको कुछ पता नहीं, चलिए अब जाति जाति के आग में झुलसने के लिए हम लोग तैयार हो जाएं।
जाति जाति के इसी आग में झुलसने की रणनीति के तहत जातीय जनगणना का काम भी शुरू किया गया है। भारतीय जनता पार्टी के धार्मिक उन्माद को जातीय उन्माद से तोड़ने और काटने की शायद यह रणनीति बनाई गई। परंतु अफसोस की एक बड़े वोटर के धार्मिक भावनाओं से ऐसा खिलवाड़ किया जा रहा जैसे उसकी भावनाओं का कोई कद्र ही नहीं। इस तरह दूसरे धर्मों के ग्रंथों में भी कुछ शब्द है, उसके लिए एक शब्द नेता कह कर देखें, फिर समझ में आ जाएगा।
जातीय जनगणना बिहार में एक बार फिर से नफरत को हवा दे दी है। सवर्ण समाज के लोग आशंकित हैं। और निश्चित रूप से यह मान रहे हैं कि जनगणना के बाद एक बड़े पैमाने पर दमन की राजनीति शुरू होगी।
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