26 अप्रैल 2010
कि फिर आऐगी सुबह
हर सुबह एक नई उम्मीद लाती है
खब्बो
से निकाल
हमको
जगाती
है
अब शाम
ढले
तो उदास मत होना
उम्मीदों कों
सिरहाने
रखकर तुम चैन से
सोना
कि फिर
आऐगी
सुबह
हमको
जगाऐगी
सुबह
रास्ते
बताऐगी
सुबह
उम्मीदों
कें
सफर को
मंजिल
तक
पहूंचाऐगी
सुबह.................
2 टिप्पणियां:
डॉ. मोनिका शर्मा
16 फ़रवरी 2013 को 8:13 am बजे
सकारात्मक भाव ....
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Satish Saxena
18 फ़रवरी 2013 को 10:40 pm बजे
आशाएं बनी रहें ...
मंगल कामनाएं !
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