कनतिया आज बहुत खुश है
उसकी शादी होने वाली है
वह भी पहनेगी
लाल लाल साड़ी
माथे पर लगाएगी
लाल लाल
सिंदूर
टिकुली
कानों में पहनेगी
मलकीनी जैसी
झुमका
और नाकों में होगी
नथुनी
तेरह साल की कनतीया आज मां है
न खुशी
न गम
उसका संपूर्ण अस्तित्व आज भावशुन्य है
सोंच रही है कि वह उस दिन खुश क्यों थी।
दिल को छू लेने वाली कविता है! सोच रही हूँ, कनतिया के माँ बाप जेल में क्यों नहीं है!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अरुणजी.... बहुत ही सशक्त और प्रभावी पंक्तियाँ रची हैं......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अरुण जी, सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंवाह!महिला दिवस पर एक अनुपम रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सशक्त
जवाब देंहटाएंमार्मिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंkalam roopi hatiyar se samaj mein faili "Bal vivah" jaisi kuritiyan par jabardast prahar.
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