जीवन के जद्दोजहद में
भागते भागते
बहुत कुछ छूट गया है पीछे....
छूट गया पीछे
दलान पर
गांव-जबार से लेकर
दुनीया भर की चिंताओं
पर चिंतन करना...
छूट गया पीछे
पनघट-पनहारिन
देवर-भौजाई
मौया-बाबू
छूट गया पीछे
दोल-पत्ता
गुल्ली-डंडा
नुक्का-छुप्पी
श्याम-चकेवा
छूट गया पीछे
भोज-भात में
पंगत-पत्तल
होय हरी
रामरस
छूट गया पीछे
किसी के निधन पर
शव निकलने तक
चुल्हा नहीं जलना
कहमां से हंसा आ गेलै
निर्गुण का सुनना
बाबू जी का परतकाली
देवर-भौजाई
साला-साली
के बीच की प्रेमपुर्ण गाली
कहां थे हम, कहां आ गए।
भागमभाग में सबकुछ लुटा गए।।
कहां थे हम, कहां आ गए।
जवाब देंहटाएंभागमभाग में सबकुछ लुटा गए।।
ज़िन्द्गी की यही त्रासदी है भागना ही पड़ता है.
कहां थे हम, कहां आ गए।
जवाब देंहटाएंभागमभाग में सबकुछ लुटा गए,,,,,
recent post: बात न करो,
आपको लग तो रहा है कि कुछ पीछे छूट गया . आने वालों को तो पता भी नहीं होगा कि क्या छूट गया :(
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 06-12 -2012 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं....
सफ़ेद चादर ..... डर मत मन ... आज की नयी पुरानी हलचल में ....संगीता स्वरूप
. .
बहुत अछि लगी आपकी यह कविता...सच में जीवन की भाग दौड़ में कितनी सारी चीजें छूट जाती हैं.
जवाब देंहटाएंआजकल की हकीकत....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
सार्थक कविता
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्म स्पर्शी कविता
जवाब देंहटाएंसादर
आज का कटु सत्य..
जवाब देंहटाएंयही जीवन का कटु सत्य है ......
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