05 दिसंबर 2012

भागमभाग


जीवन के जद्दोजहद में
भागते भागते
बहुत कुछ छूट गया है पीछे....

छूट गया पीछे
दलान पर
गांव-जबार से लेकर
दुनीया भर  की चिंताओं
पर चिंतन करना...

छूट गया पीछे
पनघट-पनहारिन
देवर-भौजाई
मौया-बाबू

छूट गया पीछे
दोल-पत्ता
गुल्ली-डंडा
नुक्का-छुप्पी
श्याम-चकेवा

छूट गया पीछे
भोज-भात में
पंगत-पत्तल
होय हरी
रामरस

छूट गया पीछे
किसी के निधन पर
शव निकलने तक
चुल्हा नहीं जलना
कहमां से हंसा आ गेलै
निर्गुण का सुनना
बाबू जी का परतकाली
देवर-भौजाई
साला-साली
के बीच की प्रेमपुर्ण गाली

कहां थे हम, कहां आ गए।
भागमभाग में सबकुछ लुटा गए।।



14 टिप्‍पणियां:

  1. कहां थे हम, कहां आ गए।
    भागमभाग में सबकुछ लुटा गए।।

    ज़िन्द्गी की यही त्रासदी है भागना ही पड़ता है.

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  2. कहां थे हम, कहां आ गए।
    भागमभाग में सबकुछ लुटा गए,,,,,

    recent post: बात न करो,

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  3. आपको लग तो रहा है कि‍ कुछ पीछे छूट गया . आने वालों को तो पता भी नहीं होगा कि‍ क्‍या छूट गया :(

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  4. बहुत अछि लगी आपकी यह कविता...सच में जीवन की भाग दौड़ में कितनी सारी चीजें छूट जाती हैं.

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  5. बहुत ही मर्म स्पर्शी कविता


    सादर

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