06 नवंबर 2016

छठ की जिम्मेवारी का स्थान्तरण


माँ की जिम्मेवारी बंदरी ने ले ली है। बड़ी जिम्मेवारी है छठ व्रत करना। इस साल पहली बार अर्धांगनी रीना ने यह जिम्मेवारी ली है और छठ कर रही है। माँ दमा की मरीज थी सो तीन साल पहले से ही छठ करना बंद करा दिया। इस साल रीना स्वयं छठ कर रही है।

हमारे लिए छठ अभी तक ग्लैमराइज़्ड नहीं हुआ है। हमारे लिए यह एक आध्यात्मिक अनुष्ठान है। माँ जब तक छठ की, उसकी कई यादें है। चूल्हे की मिट्टी, गोइठा के लिए गोबर इत्यादि आना। प्रसाद से लेकर अन्य कार्य में हाथ बंटाना। खैर अब यह जिम्मेवारी बंदरी के जिम्मे है। बच्चे माँ के साथ उसी तरह है।
ऐसा लग रहा है जैसे सबकुछ पूर्व निर्धारित हो..।

आध्यात्मिक अनुष्ठान के इस अनुभूति के बीच मालती पोखर तालाब में सेल्फी ली और स्नान करने के बहाने दूर तक तैर लिया। प्रत्येक साल इसी तालाब में तैर लेता हूँ। लगता है कहीं भूल न जायूँ....जय छठ मईया।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें