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हम बदलेगें, युग बदलेगा
हम बदलेगें, युग बदलेगा
यह कोई ज्ञान देने की बात नहीं है, बल्कि समझ की बात है। जितने अधिक लोगों के पास यह समझ होगी, उतना ही समाज का कल्याण होगा।
रणवीर इलाहाबादी और उनके साथ की लड़की इन दिनों अश्लील जोक्स के विवाद में हैं। विवाद का स्तर इतना निम्न है कि जो भी इसके बारे में जानता है, वह सहम जाता है। इलाहाबादी ने अपने माता-पिता के अंतरंग पलों का वर्णन सार्वजनिक मंच पर किया, और उस लड़की ने सारी मर्यादाओं को तोड़ दिया।
अब, जैसा कि हम सोशल मीडिया पर अक्सर करते हैं, इस मुद्दे पर एक साथ 'हुआ-हुआ' शुरू हो गया। संस्कृति और सभ्यता की दुहाई दी जाने लगी। लेकिन जरा सोचिए, जब हर कोई इसकी निंदा कर रहा है, तो वे कौन लोग हैं जो मानसिक विकृति के शिकार इन लोगों को देख रहे हैं और सुन रहे हैं?
वे कौन हैं जिनकी वजह से इन्हें लाखों-करोड़ों दर्शक मिलते हैं? यही लोग इनकी अश्लीलता को बढ़ावा देते हैं, जिससे ये और अधिक गंदगी परोसने और बेचने लगते हैं। ये दर्शक कोई मंगल ग्रह के निवासी तो नहीं हैं, बल्कि हम में से ही हैं।
सबसे बड़ा सवाल यही है। हमारी मानसिकता उस सुअर की तरह हो गई है जो गंदगी खाने के लिए दौड़ लगाता है, लेकिन जब कोई पकड़ा जाता है, तो हम सभ्यता और संस्कृति की दुहाई देने लगते हैं। यह ठीक वैसे ही है, जैसा आचार्य ओशो ने कहा था—"संत कहलाने की पहली शर्त यही है कि हर सामने वाले को चोर कहो।" खुद को संत कोई कैसे कहेगा? बस सबको चोर कहना आसान है। हमारे कथा-वाचक भी इसी तरह की बातें करते हैं।
ओशो की एक और बात याद आती है—हजारों सालों से कहा जाता रहा कि हमारे शास्त्र सभ्यता और संस्कृति की शिक्षा देते हैं, लेकिन फिर भी समाज असभ्य और अपसंस्कृति की ओर क्यों बढ़ गया? इसका मतलब या तो हमारे सभ्यता, संस्कृति गलत हैं या हमारी पढ़ाई।
आज के दौर में हमारे आम घरों की महिलाएं सोशल मीडिया पर दर्शकों की संख्या बढ़ाने के लिए क्या-क्या नहीं कर रही हैं। महज उरोज की एक झलक दिखाकर लाखों दर्शकों को लुभा लिया जाता है। इतना ही नहीं, कैमरे के सामने जानबूझकर अनुचित हरकतें करके व्यूज बटोरे जाते हैं, और यह सब हमारे आस-पास की लड़कियाँ, नवविवाहिताएँ और यहाँ तक कि बुजुर्ग महिलाएँ भी कर रही हैं।
यह समस्या केवल भारत में नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया इसी प्रवृत्ति में डूबी हुई है। इसका सीधा अर्थ यह है कि हम पुरुष पूरी दुनिया में समान रूप से छिछोरेपन के शिकार हैं।
हाल ही में, मेरे इलाके में रंगा यादव नाम के एक व्यक्ति ने कॉमेडी के नाम पर बच्चे के साथ आपत्तिजनक हरकतें कीं, जिस पर बाल संरक्षण इकाई ने संज्ञान लिया। मैंने इस पर एक खबर बनाई, फिर यूट्यूबर ने इस खबर को लेकर वीडियो बनाया और सबको चुनौती दे डाली।
तो सवाल फिर वही है—ये लोग ऐसा कर क्यों रहे हैं? इसका जवाब सीधा-साधा है: क्योंकि हम ही इन्हें पसंद करते हैं। हमें अच्छे कॉमेडी, अच्छे अभिनय और सार्थक सामग्री उतनी नहीं भाती, जितनी यह सस्ती और भद्दी चीजें। बाजार में वही बेचा जाता है, जिसकी मांग सबसे अधिक होती है। अगर हमें बदलाव लाना है, तो पहले हमे बदलना होगा। आचार्य पंडित श्री राम शर्मा ने कहा है, हम बदलेंगे, युग बदलेगा।
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