15 जुलाई 2025

मगह (मगध) में हमलोग नागपंचमी को नगपांचे बुलाते है

मगह (मगध) में हमलोग नागपंचमी को नगपांचे बुलाते है। पूरे देश में सावन में पिछला पक्ष में नाग पंचमी होता है। हमारे यहां पहला पक्ष में। जो आज है। इस दिन आम और कटहल खाना आम बात है।


 खैर, गांव में नागपंचमी का मतलब सुबह सुबह नीम का टहनी तोड़ कर लाना। घर में मुख्य दरवाजे से लेकर हर कमरे में लटकना। यह आज भी चल रहा। आज नागपंचमी में घर में नीम के पत्ते लटक गए। माय कहती थी कि इससे सांप घर में नहीं आता। खैर, यह कितना सच, नहीं पता। पर नागपंचमी में सुबह खाली पेट नीम का पत्ता पीस कर माय जरूर पिलाती थी। नाक मूंद का एक घोंट में एक गिलास गटक जाते थे। एक दम कड़वा। तीखा। 

पर माय कहती थी कि इससे खून साफ होता है। बरसाती घाव नहीं होता। आज अब यह तो वैज्ञानिक रूप से सच है।

हां, अब दो, चार साल से नीम पीने का चलन मेरे घर भी खत्म हो गया। वहीं इस दिन कबड्ड़ी खेलने का भी चलन था। बचपन में खूब खेलते थे। अब यह विलुप्ति के कगार पर है। शायद ही किसी गांव में होता है।

वहीं अब सोंचता हूं कि भारत के परंपरागत लोक चलन, संस्कृति को कैसे पश्चिम के अति आधुनिक समाज और उनके मानसिकता के लोगों ने दकियानूसी कह कर खारिज कर दिया। आज वही पश्चिम वाले भारत में नीम, हल्दी इत्यादि का पेटेंट करा के उसका वैज्ञानिक महत्व हमे बता रहे।  नीम के नाम पर सौंदर्य प्रसाधन बिक रहे।

जबकि हमारे पुरखे आज के पश्चिम के अति आधुनिक और वैज्ञानिक समाज से कहीं अधिक वैज्ञानिक थे। नागपंचमी में नीम की उपयोगिता उसी वैज्ञानिक सोच का एक उदाहरण है। नीम, रक्त शोधक है। स्वास्थ्य वर्धक है। इसी लिए इसका उपयोग लोक आचरण में है। और हां, नागपंचमी से नए साल में पर्व त्यौहार की शुरुआत होती है। कहा जाता है, विशुआ उसार, नगपांचे पसार। बस इतना ही। आपको कोई बचपन की याद हो तो साझा करें...

 

2 टिप्‍पणियां:


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 16 जुलाई 2025को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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