योग दिवस है। जो योग नहीं करते वह भी शुभकामनाएं देते है। खैर,
नियमित अभ्यास में शामिल हो तो यह वरदान है।
कल की यह तस्वीर और वीडियो आम गरीब भारतीय किसान, मजदूर के जीवन योग की संलिप्तता जीवन का कैसे हिस्सा है, उसके लिए है।
किसान नवल यादव। बैल अब है नहीं। धान का बिचड़ा गिराना है। खेत जोता हुआ है। अब उसमें चौकी देना है। इसलिए बैल की जगह खुद ही चौकी (पाटा) दे रहे। उनके साथ उनके पोता, पोती भी चुहल कर रहे। इसी बहाने वे जीवन की सबसे कठिन पाठशाला में परिश्रम की पढ़ाई कर रहे।
और यहां, यह भी समझने की बात है कि जिस चावल को हम भोजन के रूप में ग्रहण करते है उसे उपजाना पहाड़ तोड़ने जैसा कठिन कार्य है। आम किसान रोज रोज पहाड़ तोड़ता है। तब भी उनका जीवन अभावों में बीतता है।
और एक बात और। कल शाम में जब शेखपुरा से लौट रहा था । बाइक चलाते हुए। तभी नेमदारगंज गांव के पास सड़क कुछ ही दूरी पर खेत में चौकी चलाते किसान दिख गए। खेत में गया। तस्वीर ले ली। अक्सर यह होता है। सड़क पर चलते हुए आसपास यदि खबर हो तो पता नहीं कैसे दिख जाता है। अक्सर ऐसा होता है।
सुंदर
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