आदमी की फितरत ही कुछ ऐसी है कि उसको जहां मौका मिलता है लोगों का गला काटने से बाज नहीं आता-यह जुमला भले ही आम बोल चाल की भाषा में प्रयोग की जाती हो पर यह देखने को मिल जाएगा बरबीघा उपडाकघर में। बरबीघा उपडाकघर में वृद्धों को ठगी का शिकार सरे आम बनाया जा रहा है। सरकार की वृद्धापेंशन योजना वैसे लोगोंं के लिए है जिन्हें किसी प्रकार को कोई सहारा नहीं होता है और तब जीवन यापन करने के लिए सरकार की सहायाता की जरूरत पड़ती है पर वैसे लोगों से पैसे ऐंठने में भी यहां के लोग बाज नहीं आ रहे है इसका नजारा है कि बरबीघा उपडाकघर में वृद्धापेंशन लेने वालों की भीड़ जहां सुबह से ही लगी रहती राशि निकालने वाले फार्म पान की दुकान से लेकर परचुन की दुकान में पांच रू. में बिक रही है साथ ही साथ भरने की सुविधा रहती है। इसे जागरूकता का ही अभाव कहा जा सकता है कि वृद्धापेंशन लेने वालों की भीड़ एक साथ डाकघर में उमड़ पड़ती है जिसे सम्भालने में भारी पेरशानी होती है। वृद्धापेंशन पाने वाला ज्यादातर लोग अशिक्षित होते है और इसी का लाभ उठाते है वहां के आस पास के दुकानदार अथवा दलाली का काम करने वाले लोग। इसके लिए उनका जरीया होता है फार्म बेचना तथा भरने के लिए नाम पर पर पांच से दस रू. बसूल करना। उस पर कुव्यवस्था का ही आलम है कि पेंशन लेने वालों की भारी भीड़ डाकघर में उमड़ पड़ी है। सरकार की यह योजना भले ही लाचारों की सहायाता के लिए है पर यह में कुछ असंवेदनशील लोग वृद्धों को अपनी ठगी का शिकार बना रहे है।
bahut hi achha
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