कसाब को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद देश में जश्न का माहौल है। लोग खुश है कि एक खुनी दरिन्दें को उसके किए की सजा तो सुनाई गई। पर इस खुशी मे थोड़ा सा गम भी ंशामील तब हो जाता है जब सोंचता हूं कि यहां की राजनीति करने वाले लोग देश की कीमत पर ही राजनीति करते है। अफजल गुरू को आज तक फांसी पर लटकाया नहीं जाना यही बताता है। उधर आज से पहले ही गृहमन्त्री का बयान आ चुका है कि राष्ट्रपति कें पास पच्चास मामले अभी लंबित है फांसी के माफी के तो फिर कसाब कोे फांसी पर लटकाए जाने में कितनी देरी होगी। कसाब को किलींग मशीन की संज्ञा वकील उज्जल निकम ने दी जो बिल्कुल सही है। कसाब ने जितना जधन्य काम किया उसके लिए चार फांसी भी कम सजा है पर फिर यह सजा उसे तत्काल मिलनी चाहिए। इसके लिए यदि कोई स्पेशल कानून भी बनानी पड़े तो सरकार को पहल कर ऐसा करना चाहिए ताकि दुनिया को यह बताया जा सके कि जब भारत की अिस्मता, अखण्डता और सहिष्णुता के साथ कोई छेड़ छाड़ करेगा तो भारत भी ढृढ संकल्पित हो किसी हमले का मुंहतोड़ जबाब ही नहीं देता बल्कि दुश्मन की छक्के छुड़ा देता है।
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