04 जनवरी 2014

अर्धांगिनी

यूं ही
वजह/वेवजह
बात/वेबात
प्यार/तकरार
क्षणे रूष्टा
क्षणे तुष्टा
क्या है यह?
प्रेम/घृणा
संबंध/अनुबंध
या कि यही है
जीवन......


7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (04-01-2014) को "क्यों मौन मानवता" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1482 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. यही तो है उलझन अरुण जी !
    नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
    नई पोस्ट विचित्र प्रकृति
    नई पोस्ट नया वर्ष !

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  3. कैसी उलझन है यह भी,जो सदियों से आज तक यक्ष प्रशन बन कड़ी है,सुन्दर अभिव्यक्ति.

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