कुछ दिन पूर्व ग्रामीण अभिभावक रवि दा के द्वारा बरबीघा के गोड्डी गांव निवासी एक बच्चे के पिता को मेरे पास यह कह कर भेजा की बच्चे को अच्छे निजी स्कूल में पिता पढ़ाना चाहते हैं परंतु आर्थिक रुप से गरीब है। इसलिए बरबीघा चौपाल द्वारा किसी भी विद्यालय में निशुल्क नामांकन करवा दीजिए। बच्चे का पिता रामाशीष कुमार भी आकर मुझसे मिले और Divine Light Public school में बच्चे का नामांकन कराने का निवेदन किया। वे पैर छूने लगे। मैं पीछे हटकर उनको तत्काल रोका। उसी समय अहसास हुआ की ये अपने बच्चे की पढ़ाई को लेकर बेहद गंभीर है। उनको भरोसा दिया। अगले ही दिन उनका कॉल भी आ गया। फिर मित्र सुधांशु शेखर जी से बात की वे सहर्ष तैयार हो गए।
बच्चे के नामांकन होने की सूचना जब रामाशीष जी को दिया तो वे बेहद खुश हुए। मैंने पूछा की बच्चा स्कूल कैसे आएगा तो खुद बोले पड़े।
"सर, नामांकन निःशुल्क हुआ है। फीस भी नहीं लगेगी। बच्चा को रोज साइकिल से स्कूल पहुंचा देंगे। और लेकर आएंगे। मजदूर आदमी है। बरबीघा में ही मजदूरी कर लेंगे। बेटा पढ़ लेगा तो पीढ़ी बदल जायेगी।"
आज बच्चा का नामांकन हो गया। बरबीघा चौपाल के सहयोग से अन्य जरूरतों को पूरा करने का भरोसा दिया।
बच्चे का नाम नाम वरुण धवन, पिता रामाशीष कुमार। हर बात में जाति की दुहाई देकर एक वर्ग को अपमानित करने का आज का दौड़ है। जय भीम का नारा डराने लगा है। वैसे लोगों से कहता हूं, बच्चे की जाति किसी ने नहीं पूछी। मैंने भी नहीं।
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