बहुत दिनों से मन चिढ़ रहा है। युवराज का नाम सुन सुन कर कान पक गए। सारी
कहानी राजतन्त्र की तरह चल रही है। मिडिया से लेकर प्रशासनीक महकमा तक,
सभी नतमस्तक। युवराज. युवराज चिल्लते लोगों को देख अब लगता है जैसे हम
200 साल पीछे किसी राजतन्त्र के गुलाम निवासी है। हद तो तब हो जाती है जब
युवराज के चरणस्पशZ के लिए बड़े बड़े आपाधापी करते हुए गिर पड़ते है और
युवराज चरणस्पशZ करा कर एक कुटील मुस्कान छोड़ते हुए सोचता है कि इस देश
को सचमुच गुलामी की आदत हो गई है। इतना ही नहीं युवराज दलित के घर जातें
है, उनका हाल चाल लेते है, उनसे बातें करते है और इस सब के पीछे कितना
कुछ खर्च होता है कौन पूछता है। और यह सब नौटंकी नही न्तो क्या. यही
युवराज अब बिहार आ रहे है। मिडिया में खबर ऐसे छाया हुआ है जैसे सच का
युवराज आ रहे है। गया जाएगें, तो जाओं भौया तुम्से कोई थोड़े पूछ रहा की
युवराज हो तो गरीबों की चीनी, गरीबों की रोटी-दाल और गरीबों की रौशनी छीन
रहे हो। युवराज हो तो तुमसे कोइ थोडे़ पूछ रहा कि तुम भारत के
प्रधानमन्त्री के सम्बंध में कहते हो कि मैं प्रधानमन्त्री से मंहगाई कम
करने के लिए कहूंगा। कहो भौया, आखिर युवराज हो। सभी कह रहे है कि युवराज
का क्रेज युवाओं मे काफी है, चलो मैं तो बुढ़ा हो गया। मुझमें क्रेज
नहीं। और क्यों क्रेज रखे, जो भारत के लोगों को समझ नहीं सकता, जो आम
आदमी से मिलने पर आम नहीं रह सकता, जो खुद ईश्वरिया समझ के साथ काम करता
हो, जो सचमुच मे युवराज हो मैं उसका क्रेज नहीं रख
सकता।.................
और मैं उस युवराज को नहीं जानता. आप जानते हो तो मुझे मत बताइऐ। यदि कोई
युवराज है तो मैं पूछता हूं-अफजल गुरू को फंसी क्यों नहीं? कसाब हमारा
मेहमान क्यों? पवार चीनी मिल का मालिक, कृषि मन्त्री क्यों? दलितों को दो
जून की रोटी क्यों नहीं? नरेगा की राशि दलालों की जेब में क्यों? इन्दिरा
आवास में दलाली क्यों?
युवराज जी आपने क्या किया है इस सब के लिए, आखिर आप युवराज है जिसका
नैतिक धर्म देशप्रेम होता है।
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