28 मई 2010
झमाझम बारिस
सुबह जैसे ही आंख खुली झमाझम बारिस ने मौसम खुशनुमा बना दिया. काले बदलों ने पूरे आकाश को अपने आगोश में ले लिया बिल्कुल अमावस्या की रात की तरह अंधेरा छा गया. प्यासी धरती खुशी से झूम गई. खेतों में पानी भर आया. किसान खेत की जुताई की तैयारी में जुट गये है. मैं भी धान के बिचरे लगाने वाले खेत की जुताई करबाने जा रहा हूं.
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यह पूरा आकाश कहां तक है। जहां तक दिखलाई देता है सिर्फ वहीं तक। आकाश वहां से आगे भी है। वैसे दिल्ली में भी यही हाल है आकाश का। परन्तु नहीं मालूम कितनी दिल्ली में। जो दिखता है वो पूरा सच नहीं होता है।
जवाब देंहटाएंकहाँ भाई कहाँ ?
जवाब देंहटाएंहमारी शुभकामनाएँ लेते जाईये!!
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